माघ मास की अमावस्या को अति पावन और पुण्यदायी माना जाता है। ‘माघ अमावस्या को ‘माघी अमावस्या और ‘मौनी अमावस्या’ भी कहते हैं। इस बार माघी अमावस्या 11 फरवरी को है। पद्मपुराण के उत्तरखंड में माघमास की अमावस्या के माहात्म्य का वर्णन करते हुए कहा गया है कि व्रत, दान, और तपस्या से भी भगवान श्रीहरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि माघ महीने में स्नानमात्र से होती है।
इसलिए स्वर्गलाभ, सभी पापों से मुक्ति और भगवान वासुदेव की प्रीति प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को माघ स्नान करना चाहिए। इस माघमास में पूर्णिमा को जो व्यक्ति ब्रह्मवैवर्त पुराण का दान करता है, उसे ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है। अमावस्या 10 फरवरी की रात्रि 12 बजकर 39 मिनट से लग रही है जो 11 फरवरी को रात्रि 11 बजकर 47 मिनट तक रहेगी। जिस कारण से 11 फरवरी को संपूर्ण दिन में अमावस्या का पुण्य काल प्राप्त हो रहा है। स्नान- दान आदि के अतिरिक्त इस दिन पितृ श्राद्ध आदि करने का भी विधान है।
रखा जाता है मौन व्रत
शास्त्रों में बताया गया है कि माघ के महीने में आने वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं। इस दिन मौन व्रत रखने और मुख से कटु शब्द न निकलने से मुनि पद की प्राप्ति होती है। धर्मग्रंथों के अनुसार साल की सभी अमावस्या में से इस अमावस्या का अपना खास महत्व है। इस दिन संगम और गंगा में देवताओं का वास रहता है, जिससे गंगा स्नान करना अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक फलदायी होता है। इस वर्ष मौनी अमावस्या का महत्व इसलिए भी अधिक है, क्योंकि इस दिन हरिद्वार कुंभ में पवित्र डुबकी लगाई जाएगी। इस अवसर पर ग्रहों का संयोग कई गुणा फल देने वाला होगा।
पितरों की तृप्ति के लिए विशेष
माघ अमावस्या के दिन ही ब्रह्माजी ने प्रथम पुरुष, ‘स्वयंभुव मनु’ की उत्पत्ति कर सृष्टि की रचना का कार्य आरंभ किया था। इसी कारण इसे ‘मौनी अमावस्या कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस अमावस्या को पितरों की तृप्ति के लिए विशेष माना गया है। यानी माघ अमावस्या के दिन श्राद्ध, पिंड दान, तर्पण, पितृ पूजा आदि करने और विशेष रूप से जल और तिल से तर्पण करने से पितरों का उद्धार होता है।
सामर्थ्य के अनुसार करें दान
इस दिन सूर्योदय से पूर्व मौन रहकर पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। माघ मास की अमावस्या को भगवान विष्णु को घी का दीप दान करना चाहिए। भगवान को तिल अर्पित करना चाहिए। माघ मास की मौनी अमावस्या के दिन तिल, गुड़, वस्त्र और अन्न, धन का दान करना बहुत ही पुण्यदायी कहा गया है। मौनी अमावस्या के दिन पीपल को जल देना और पीपल के पत्तों पर मिठाई रखकर पितरों को अर्पित करना चाहिए। इससे पितृदोष दूर होता है। मौनी अमावस्या के दिन जल में काले क्लि डालकर सूर्य को अध्यं दें, मंत्र जाप करें और अपने सामर्थ्य के अनुसार दान करें।