वाराणसी। धर्म की नगरी से मशहूर काशी में गुरु पूर्णिमा पर सन्नाटा पसरा हुआ है। कोरोना के इस संकट काल में मंदिर और घाटों पर कोई दिखाई नहीं दे रहा है। आज के दिन हर कोई अपने गुरु को याद करके उनके चरणों में सर झुकता है। गंगा स्नान का भी अपना महत्व है। लेकिन कोरोना को देखते हुए जिला प्रशासन ने घाटों पर जाने के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं। संक्रमण न फैले इसके लिए दो गज की दूरी बनाना भी अनिवार्य है।

“गुरु की महिमा है अगम, गाकर तरता शिष्य। गुरु कल का अनुमान कर, गढ़ता आज भविष्य।”
सनातन धर्म के अनुसार हर वर्ष आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि पर गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। आज इस पर्व को पूरे देश में मनाया जा रहा है। आज के दिन आषाढ़ पूर्णिमा पर महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। इसे सनातन धर्म से जुड़े लोग गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं। आज के दिन गुरुओं की पुजा की जाती है। गुरु ही जीवन की सही दिशा और ज्ञान की गंगा से अपने शिष्यों को अवगत करवाते हैं।
धर्म नगरी काशी में आज के दिन घाटों पर गंगा स्नान करने के लिए आस्था का जनसैलाब उमड़ता है। लेकिन कोरोना के संक्रमण ने इस बार इस परंपरा और आस्था को तोड़ दिया है। घाट पर किसी के भी स्नान की मनाही है। इसके साथ ही मंदिरों में भी नए नियम के अनुसार दर्शन पूजन किया जा रहा है।