वाराणसी। स्वच्छता के जनक महान समाज सुधारक राष्ट्र संत गाडगे महाराज के महा परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर मंगलवार को अर्दली बाजार स्तिथ पार्टी कार्यालय में जयंती कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
संत गाडगे की 145 वीं जयंती मंगलवार को धूमधाम से मनाई गई। सपा महानगर अध्यक्ष विष्णु शर्मा ने उनकी प्रतिमा पर माल्र्यार्पण किया। श्री शर्मा ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि गाडगे बाबा का जन्म 23 फरवरी 1876 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले के शेणगांव अंजनगांव में हुआ था। उनका बचपन का नाम डेबूजी झिंगराजी जानोरकर था।
उन्होंने महाराष्ट्र के कोने-कोने में अनेक धर्मशालाएं, गौशालाएं, विद्यालय, चिकित्सालय तथा छात्रावासों का निर्माण कराया। यह सब उन्होंने भीख मांग-मांगकर बनावाया किंतु अपने सारे जीवन में इस महापुरुष ने अपने लिए एक कुटिया तक नहीं बनवाई। उन्होंने धर्मशालाओं के बरामदे या आसपास के किसी वृक्ष के नीचे ही अपनी सारी जिंदगी बिता दी। एक लकड़ी, फटी-पुरानी चादर और मिट्टी का एक बर्तन जो खाने-पीने और कीर्तन के समय ढपली का काम करता था, यही उनकी संपत्ति थी। इसी से उन्हें महाराष्ट्र के भिन्न-भिन्न भागों में कहीं मिट्टी के बर्तन वाले गाडगे बाबा व कहीं चीथड़े-गोदड़े वाले बाबा के नाम से पुकारा जाता था।
महानगर महासचिव जितेन्द्र यादव ने कहा की संत गाडगे जी निर्मल का जन्म महाराष्ट्र में 23 फरवारी 1876 में हुआ था। उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने में पूरा जीवन व्यतीत कर दिया। समाज को एक मुकाम देने के लिए भीख मांगकर आश्रम, विद्यालय, अस्पताल खुलवाया।
मुख्य अतिथि के रूप में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व महानगर अध्यक्ष भईया लाल कन्नौजिया ने कहा की संत गाडगे जी महाराज ने समाज में व्याप्त असमानता, भेदभाव, छुआछूत,ऊंच-नीच के खिलाफ जाकर इन सब परम्पराओं से उठकर सामाजिक समानता लाने के लिए आजीवन प्रयास किया और समाज को प्रेरणा देने का काम किया। उनके त्याग और बलिदान को विस्मित नहीं किया जा सकता है।
महिलासभा महानगर अध्यक्ष पुजा यादव ने कहा की महाराज का जन्म महाराष्ट्र के अमरावती जिले के अँजनगाँव सुरजी तालुका के शेड्गाओ ग्राम में एक धोबी परिवार में हुआ था. वे एक घूमते फिरते सामाजिक शिक्षक थे, वे पैरो में फटी हुई चप्पल और सिर पर मिट्टी का कटोरा ढककर पैदल ही यात्रा किया करते थे. और यही उनकी पहचान थी. जब वे किसी गाँव में प्रवेश करते थे तो वे तुरंत ही गटर और रास्तो को साफ़ करने लगते. और काम खत्म होने के बाद वे खुद लोगो को गाँव के साफ़ होने की बधाई भी देते थे. गाँव के लोग उन्हें पैसे भी देते थे और बाबाजी उन पैसो का उपयोग सामाजिक विकास और समाज का शारीरिक विकास करने में लगाते. लोगो से मिले हुए पैसो से महाराज गाँवो में स्कूल, धर्मशाला, अस्पताल और जानवरो के निवास स्थान बनवाते थे.
कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन जिला महासचिव आनंद मौर्या ने
कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य के रूप से सर्व श्री भईया लाल कन्नौजिया ,सपा महानगर अध्यक्ष विष्णु शर्मा,जिला महासचिव आनंद मौर्या, वरिष्ठ नेता उमाशंकर यादव,महानगर उपाध्यक्ष राहुल श्रीवास्तव, महानगर महासहिव जितेंद्र यादव,महानगर मीडिया प्रभारी संदीप शर्मा, जिला उपाध्यक्ष कारीमुलाह अंसारी,उत्तरी विधानसभा अध्यक्ष अजय चौधरी, डॉ० हरिनाथ यादव,महेंद्र यादव,श्रीमती उमा यादव, महिलासभा महानगर अध्यक्ष पूजा यादव, महिला सभा की जिलाध्यक्ष रेखा पाल, प्रिया राज अग्रवाल, अनुसूचित जाति/जनजाति प्रकोष्ठ महानगर अध्यक्ष अजय प्रकाश राजू, रितेश केशरी,अमन यादव गोलू, रामकुमार यादव,, *महासचिव सुजाता यादव, सतेंद्र प्रताप , संजय यादव,दिलशाद अहमद ढिल्लू, विजय कन्नौजिया, पूजा सिंह, पार्वती कन्नौजिया, कंचन, रितु, दीपक सिंह, आदि लोग मौजूद रहे।